- उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) के तत्वावधान में आयोजित हैंड्स ऑन ट्रेंनिंग कार्यशाला का पांचवा दिवस।
ऋषिकेश : पांच दिवसीय हैंड्स ऑन ट्रेनिंग कार्यशाला के चौथे दिन प्रतिभागियों को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में प्रशिक्षण दिया गया । कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष प्रो. अनीसा आतिफ मिर्जा, प्रोफेसर मनीषा नैथानी, डॉ बेला, डॉ सरमा शाह आदि के परिचयात्मक भाषण से हुई, जिन्होंने जैव रसायन और जैव अणुओं के मूल सिद्धांतों पर चर्चा करके आधार तैयार किया। इस सत्र ने उपस्थित प्रतिभागियों को अधिक जटिल विषयों की अवधारणाओं को ठोस रूप से समझाया गया व बायोसाइंस से रिलेटेड सभी प्रयोग के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया।
इस आधारभूत सत्र के बाद, डॉ. अतनु सेन (वरिष्ठ रेजिडेंट) ने एलिसा (एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट परख) तकनीकों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें बुनियादी सिद्धांतों से लेकर उन्नत पद्धतियों तक को शामिल किया गया। उन्होंने एलिसा के बायोमेडिकल महत्व और नैदानिक निदान अनुप्रयोगों पर विस्तार से बताया, जिसमें कैलप्रोटेक्टिन प्रोटीन अनुमान पर विशेष ध्यान दिया गया। कैलप्रोटेक्टिन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सूजन संबंधी बीमारियों के निदान के लिए एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर के रूप में कार्य करता है। डॉ. सेन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैलप्रोटेक्टिन के स्तर को मापने से रोग निदान में कैसे मदद मिल सकती है।
दूसरे सत्र में प्रतिभागियों ने डॉ. अतनु सेन और डॉ. अविनाश बैरवा द्वारा संचालित एक व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया। इस व्यावहारिक खंड ने ELISA के परिचालन पहलुओं में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। उपस्थित लोगों ने नमूना निष्कर्षण, अभिकर्मक तैयारी, परख विधियों, परिणाम पढ़ने, गणना और परिणामों की व्याख्या सहित आवश्यक प्रक्रियाओं के बारे में सीखा। यह व्यावहारिक अनुभव प्रतिभागियों को उनके भविष्य के अनुसंधान और नैदानिक निदान प्रथाओं में प्रभावी ढंग से ELISA परख करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने में सहायक था। कुल मिलाकर, एम्स ऋषिकेश में कार्यशाला एक शानदार सफलता थी, जिसमें उपस्थित लोगों को सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल दोनों प्रदान किए गए जो जैव चिकित्सा अनुसंधान और नैदानिक निदान में प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यूसर्क की निदेशक प्रो अनिता रावत ने कहा कि यूसर्क की हमेशा कोशिश रहती है कि प्रतिभागियों को बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त हो, इसी क्रम में एम्स जैसे संस्थान में प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्राप्त हो रहा है जो कि उनको लाभदायक सिद्ध होगा। उन्होने कार्यशाला के समन्वयक प्रो० गुलशन कुमार ढींगरा के कुशल समन्वयन की सराहना की!